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MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

अब गंगा के पांच किलोमीटर इलाके में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा 2025 तक देश के सभी गांवों को आप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ड्रोन के इस्तेमाल से खेती कराने की पेशकश, किसानों को फायदा होने का दावा कृषि विश्वविद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन टिकैत ने कहा, MSP पर तो कुछ बोला ही नहीं

कृषि विशेषज्ञ मानते हैं, खेती के लिए बेहतरीन बजट

मंगलवार को 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को लेकर कई बातें कीं। वैसे, माना यह जा रहा था कि 13 महीनों तक किसानों के विरोध के बाद सरकार दो कदम आगे बढ़ कर MSP पर कोई फैसला करेगी लेकिन इस पर कुछ हुआ नहीं। माना जा रहा था कि MSP बढ़ाई जाएगी और किसानों का दिल जीतने की कोशिश होगी। इसके पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि पांच राज्यों में चुनाव हैं। सो, वित्त मंत्री किसानों के लिए MSP बढ़ाने की घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा हो न सका। पूरे
बजट में MSP बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई। हां, यह जरूर बताया गया कि किसानों को MSP के मद में 2.37 लाख करोड़ रुपये देने का इरादा है।

किसानों के लिए बहुत कुछ है इस बजट में

लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि किसानों के खाते में इस बार वित्तमंत्री ने कुछ भी नहीं दिया। किसानों की झोली दूसरे तरीकों से भरने की कोशिश की गई है। इसमें बड़ा तथ्य है 2.37 लाख करोड़ रुपये MSP  में खर्च करने की योजना। यह धनराशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी, फसल के एवज में।

ड्रोन की मदद से खेती

kisan drones गौर से देखें तो खेती-बाड़ी करने वालों के लिए इस बजट में ऐसी बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं जिन पर अमल करके वे काफी आगे बढ़ सकते हैं। जैसे, अब खेती में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। वित्त मंत्री की यह मान्यता रही है कि अगर ड्रोन आधारित खेती हुई तो निश्चित तौर पर किसानों का वक्त बचेगा और खेती की जो एक्यूरेसी है, वह बढ़ेगी। मतलब यह हुआ कि अब ड्रोन की मदद से किसान कम समय में ही यह जान सकेंगे कि उनकी फसलों की स्थिति क्या है और यह भी कि फसलों को दवा कब देनी है, कितनी देनी है, उसकी एक्यूरेसी क्या होनी चाहिए, यह सब ड्रोन की मदद से बेहद आसानी के साथ किया जाएगा।

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कृषि विश्वविद्यालय खोलने को राज्यों को प्रोत्साहन

agricultural university इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले बजट में भी उन्होंने कहा था कि जब तक किसानी को पढ़ाई से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की आय बढ़ नहीं सकती। पिछले साल का संकल्प इस साल पूरा करते हुए उन्होंने कई कृषि विश्वविद्यालय खोलने की बातें अपने बजट भाषण में कही हैं। माना जाता है कि जब ये कृषि विश्वविद्यालय खुल जाएंगे तो किसानों को जमीन की उर्वरकता, खेती के तौर-तरीके आदि को आधुनिक रूप में समझने में बेहद मदद मिलेगी। वित्त मंत्री का कृषि विश्वविद्यालयों पर जोर इस बात का भी संकेतक है कि वह किसानों को खेती-बाड़ी की पढ़ाई करती हुई देखना चाहती हैं। यह जरूरी भी है।

आर्गेनिक खेती (Organic Farming) पर जोर

organic farming इस बजट में एक बड़ी बात आर्गेनिक खेती को लेकर भी हुई है। वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी पहले चरण में गंगा नदी के पांच किलोमीटर के इलाके में आर्गेनिक खेती की जाएगी। इससे आर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा मिलेगा ही, जो पैदावार होगी, वह आम लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी। आर्गेनिक खेती में किसी भी किस्म का रसायन इस्तेमाल नहीं होता। इस किस्म की खेती को जीरो बजट खेती भी कहते हैं जिसे कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे आचार्य वेदव्रत ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ाया। माना जा रहा है कि आर्गेनिक खेती का मूल कांसेप्ट उन्हीं का है जिससे प्रधानमंत्री भी सहमत थे। वही चीज आज के बजट में भी प्रभावी तरीके से सामने आई है।

बेतवा परियोजना

Betwa Project इस बजट में अनेक नदियों के किनारे विभिन्न किस्म की परियोजनाओं को भी शुरू करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश के बेतवा परियोजना के लिए 44650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। मकसद यह है कि देश भर के करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि को खेती योग्य जल उपलब्ध हो। वित्तमंत्री ने किसानों को और राहत देने की पेशकश की है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों की अधिकांश फसल वह खुद खरीद ले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022-23 तक केंद्र सरकार किसानों से 1000 एमएलटी धान की फसल खरीदे।

एग्रो फारेस्ट्री

agro factory इस बजट में एग्रो फारेस्ट्री को लेकर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला वक्त एग्रो फारेस्ट्री का है। जो भी किसान इस क्षेत्र में आना चाहें, सरकार उनकी मदद करेगी। पैसे देगी। उन्हें अन्य तरीकों से भी सहयोग करेगी। सब्सिडी देने की बात चल रही है।

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हर गांव में 2025 तक आप्टिकल फाइबर का जाल

village Technology कृषि से ही जुड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी इस बजट में काफी बातें कही गई हैं। उनमें अहम है, देश भर के सभी गांवों में 2025 तक आप्टिकल फाइबर बिछा देना। वित्त मंत्री ने कहाः यह बेहद उम्दा योजना है। हम चाहते हैं कि देश के जितने भी गांव हैं, उन सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाया जाए ताकि हर गांव इंटरनेट से कनेक्टेड हो। उनका कहना था कि अभी इंटरनेट की कमी के कारण देश के गांवों का एक बड़ा हिस्सा तकनीकी ज्ञान और कृषि संबंधी जानकारियों सहित अनेक फायदों और सुविधाओं से अनभिज्ञ रह जाता है। केंद्र सरकार चाहती है कि कृष् और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में काम हो और तेजी से हो। हमें पूरा विश्वास है कि देश के सभी गांव 2025 तक इंटरनेट की सुविधा से युक्त हो जाएंगे। एक बार जब वह इंटरनेट की सुविधा से जुड़ जाएंगे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।

केसीसी पर कोई चर्चा नहीं

वैसे, इस बजट से किसान यह उम्मीद लगा रहे थे कि केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की क्रेडिट क्षमता बढ़ा दी जाएगी लेकिन फिलहाल इस पर बजट में कोई चर्चा नहीं हुई। इससे किसानों में थोड़ी मायूसी देखी गई।

प्रतिक्रियाएं

सरकार जब तक MSP  गारंटी कानून नहीं बताती, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस बजट में MSP  गारंटी कानून की कोई बात ही नहीं कही गई। -राकेश टिकैत, किसान नेता यह बजट भविष्य का बजट है। यह एग्रीकल्चर सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इस बजट की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र में पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। यह अच्छी बात है। आप जब पढ़-लिख कर खेती करेंगे तो निश्चित तौर पर आप बढ़िया से खेती करेंगे, बढ़िया आमदनी होगी आपकी। आप सोचिए कि सरकार 2025 तक किसानों को हर गांव में आप्टिकल फाइबर तकनीक देने जा रही है। इसका सीधा असर किसानों, उन्के बच्चों या यूं कहें कि पूरे परिवार, पूरे इलाके में होगा। यह किसानों के लिए अब तक का बेहतरीन बजट है। -प्रोफेसर सीएन बी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री
किसानों को खेती में ड्रोन का उपयोग करने पर मिलेगा फायदा, जानें कैसे

किसानों को खेती में ड्रोन का उपयोग करने पर मिलेगा फायदा, जानें कैसे

भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा उसी पर निर्भर है। इसी को देखते हुए भारत सरकार कृषकों के लिए बहुत सारी योजनाएं ला रही है जिससे किसानों को उनके खेती के कार्यों में अधिक से अधिक सुविधा प्राप्त हो सके और लागत घटने के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़े।

ड्रोन खरीदने वाले विभिन्न वर्गों के लोगों को छूट

ऐसी एक योजना भारत सरकार ने ड्रोन खरीदने पर लागू की है इस योजना के तहत ड्रोन खरीदने वाले विभिन्न वर्गों के लोगों को छूट भी प्रदान की गई है। इस योजना में किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आदि को ड्रोन खरीदने के लिए 5 लाख तक की सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। वहीं अन्य किसानों को 40% अर्थात 4 लाख रुपए तक की सहायता प्रदान की जाती है।

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हमारे देश के किसानों को खेती के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही समस्यों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को चलाया गया है। ताकि किसानों को खेती के कार्यों में कोई परेशानी न हो और वे खेती के कामों को अच्छे ढंग से कर सकें। इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है और ड्रोन के खरीद पर 50% की सब्सिडी भी दी जा रही है। साथ ही व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीदने के लिए भी आर्थिक मदद देने का प्रावधान है। भारत के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर जी कहते हैं कि इस योजना से भारत के किसानों को बहुत फायदा मिलेगा। किसानों की लागत घटेगी वह आय में वृद्धि होगी।

कृषि क्षेत्र में क्या काम करेगा ड्रोन

कृषि के क्षेत्र में ड्रोन (Agriculture Drone) की अहम भूमिका है। ड्रोन के जरिए खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव बहुत ही कम समय में हो सकेगा जिससे समय और मजदूरी की बचत होगी। ड्रोन के माध्यम से किसान की कई प्रकार से सहायता होगी एक तो किसान के समय की बचत होगी और दूसरा कि खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव समान रूप से हो सकेगा और अगर हम पारंपरिक रूप से खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव कराएं तो पूरे खेत पर कीटनाशकों का छिड़काव एक समान नहीं हो पाता।

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ड्रोन से बचत की सम्भावना

यदि हम छिड़काव के लिए मजदूरों को लगाएं तो दो-तीन मजदूर आराम से लग जाएंगे और अगर प्रत्येक मजदूर का ₹500 भी जोड़ें तो लगभग 15 सौ रुपए कीटनाशक के छिड़काव में खर्च होते हैं। और वही अगर हम ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं तो हमें महज 1 एकड़ में ₹400 का खर्च आएगा। साथ ही अगर पानी की बात की जाए 1 एकड़ में हमें 150 से 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और वही अगर यह काम ड्रोन से कराया जाए तो हमें केवल 10 लीटर पानी की आवश्यकता होती है इससे हमारे पानी की भी बचत होगी।

ड्रोन खरीद की खास बात

1. ड्रोन के माध्यम से कृषि सर्विस देने वाले किसान सहकारी समिति व ग्रामीण उद्यमियों को कस्टम हायरिंग केंद्रों द्वारा ड्रोन खरीद के लिए 40 फ़ीसदी की दर से या ₹400000 तक की सब्सिडी दी जाएगी। 2. भारत के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति किसानों महिलाओं आदि को ड्रोन खरीदी पर 50 फीसदी या ₹500000 तक की छूट का प्रावधान है। 3. खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए SMAM योजना के तहत ढूंढ खरीद पर 100 फ़ीसदी तक की छूट का प्रावधान रखा गया है। 4. इसके अलावा कृषि उत्पादक संगठनों को ड्रोन खरीदने पर 75 फ़ीसदी तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।

ड्रोन से काबू हुए थे टिड्डी दल

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि यह तकनीक भारत के अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है जिससे उन्हें खेती के कार्य में सुविधा होगी वह लागत में कमी आएगी और उनकी आय बढ़ेगी। ड्रोन के माध्यम से टिड्डी दलों को काबू करना आसान हो जाएगा। कृषि सचिव मनोज अहूजा ने कहा कि ड्रोन को किसानों के पास ले जाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं और सरकार भी इस संबंध में प्रतिबद्ध है।

अब होगी ड्रोन से राजस्थान में खेती, किसानों को सरकार की ओर से मिलेगी 4 लाख की सब्सिडी

अब होगी ड्रोन से राजस्थान में खेती, किसानों को सरकार की ओर से मिलेगी 4 लाख की सब्सिडी

किसानों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार कई प्रकार के योजनाओं का संचालन कर रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और कम से कम समय में कार्य हो. बजट घोषणा के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ड्रोन से खेती (Agriculture Drone) करने की योजना जारी की थी. इस योजना से 40 करोड़ रुपए तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. इस योजना के तहत यदि कोई भी कस्टम हायरिंग सेंटर ड्रोन को खरीदेगा तो सब्सिडी मिलेगी और फिर किसान उससे ड्रोन किराए पर ले सकते है. यदि किसान भी ड्रोन खरीदना चाहे तो खरीद सकता है. किसानों को इस योजना से काफी फायदा मिलेगा. वो काम कीमत पर ड्रोन खरीद या किराए पर ले सकते है.

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योजना से किसानों का फायदा

इस योजना से किसानों का कई प्रकार से फायदा होगा. जैसे- किसानों का समय बचेगा ड्रोन कम से कम समय में छिड़काव का काम कर देगा. यदि पुराने तरीके से इस काम को किया जाए तो बहुत समय लगेगा साथ ही बहुत मेहनत भी. यदि किसान 2-3 मजदूर लगाए तो बहुत खर्च भी हो जायेगा. जैसे- 1 मजदूर की कीमत 400 रुपए तो 3 मजदूर 1200 रुपए में आएंगे. जबकि ड्रोन सिर्फ 300 से 400 के बीच में आ जाएगा. ड्रोन से हर जगह बराबर का छिड़काव होगा जबकि मजदूर कही कम तो कही ज्यादा छिड़काव कर देंगे.

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10 मिनट में 1 एकड़ जमीन पर छिड़काव

कृषि में किसी फसल के उपज के लिए कई स्टेप होते है, जैसे- कटाई, सिंचाई और साथ - साथ कीटनाशक छिड़काव भी जरूरी है. यदि कीटनाशक का छिड़काव न किया जाए तो फसल बर्बाद हो सकती है. अभी के समय लोग कीटनाशक के छिड़काव के लिए पेटीनुमा चीज को कंधो में टांगकर स्प्रे के द्वारा छिड़काव करते है. 1 एकड़ जमीन के लिए अगर इस पेटीनुमा स्प्रे से छिड़काव किया जाए तो 3 से 4 घंटे लग सकते है. साथ ही कीटनाशक से छिड़काव करने वाले किसान के शरीर को भी बहुत नुकसान पहुंचता है. वही , ड्रोन से इतने ही क्षेत्र में छिड़काव किया जाए तो 10 मिनट में हो जाएगा और किसान के शरीर भी बचा रहेगा.  

स्मार्ट कृषि प्रणाली : किसानों की भविष्यकारी नीति और चुनौतियां

स्मार्ट कृषि प्रणाली : किसानों की भविष्यकारी नीति और चुनौतियां

बदलते वैश्विक परिदृश्य में अब भारत सरकार भी डिजिटलीकरण के माध्यम से संचालित कृषि नीतियों को प्राथमिक उद्देश्य में शामिल करने के लिए प्रयास कर रही है। 

 साल 2022-23 के बजट में सरकार ने नई कृषि तकनीकों को डिजिटलीकरण के क्षेत्र में काम करने वाली स्टार्टअप तथा किसान उत्पादक संस्थान (Food Processing Organisation) के साथ मिलकर स्मार्ट कृषि की राह पर चलने का फैसला किया है। कोविड-19 जैसी महामारी और कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से पैदा हुए खाद्य संकट को कम करने में भी स्मार्ट खेती का महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिला है।

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क्या होती है स्मार्ट कृषि ?

किसी भी खेती प्रणाली में अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा को कम करते हुए, खेत से प्राप्त होने वाली उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को ही स्मार्ट कृषि (Smart Farming) कहा जा सकता है। स्मार्ट कृषि एक बड़े परिदृश्य को परिभाषित करती है, इसके तहत बेहतरीन तकनीक की रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट (remote sensing satellite) और दूसरे वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से संसाधनों के कुशल प्रबंधन को भी शामिल किया जा सकता है।

साल 2015 से विश्व के लगभग सभी देश समुचित विकास (Sustainable development) की राह पर चलते हुए पर्यावरण की गुणवत्ता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए विश्व में खाद्य संकट के निदान के लिए प्रयासरत हैं। विज्ञान की नई तकनीक जैसे रिमोट सेंसिंग, रोबोटिक्स तथा बिग डाटा एनालिटिक्स (Big Data Analytics) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) जैसी कई प्रौद्योगिकियों परंपरागत खेती को स्मार्ट कृषि में बदल सकती है।

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स्मार्ट कृषि से किसानों को होने वाले फायदे :

किसी भी नई प्रौद्योगिकी और उत्पाद को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पक्षों से सोचा जाना चाहिए। स्मार्ट खेती के लिए भी नई वैज्ञानिक तकनीक प्रभावी नीति निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जैसे कि :-

  • कृषि प्रणाली की दक्षता में बढ़ोतरी :-

किसी भी किसान के लिए खेत से अधिक उपज प्राप्त करना सपने के सच होने जैसा होता है। स्मार्ट कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही कृषि प्रणाली की दक्षता को सुदृढ़ करने में सक्षम है।

इसके लिए विभिन्न तरीके के उत्पाद, जैसे कि 'किसान ड्रोन'  (Kisan Drone) का उपयोग पानी में घुलनशील उर्वरकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के अलावा कीटनाशक के सीमित इस्तेमाल के लिए भी किया जा सकता है।

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श्रम संकट को ध्यान में रखते हुए किसान ड्रोन शारीरिक श्रम के लिए एक विकल्प के रूप में उपलब्ध हुआ है।

  • भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण :

वर्तमान में ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technique) की मदद से विकसित देशों में सेंसर आधारित उपकरणों का सहयोग लेकर भूमि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी को डिजिटल माध्यमों की मदद से उपलब्ध करवाया जा रहा है।

नई तकनीकों के प्रसार की वजह से किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और अलग-अलग योजनाओं के लिए लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों की संपूर्ण जानकारी इकट्ठा करना काफी आसान हो गया है, इस पारदर्शिता की मदद से सही लाभार्थी लोगों तक आर्थिक मदद को आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • कम्युनिटी विकास पर फोकस :

छोटे किसानों के लिए स्मार्ट कृषि का इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हो जाता है, वर्तमान में स्मार्ट कृषि से अलग अलग क्षेत्रों के किसानों के मध्य जागरूकता बढ़ाने और भाईचारे का स्वभाव भी पैदा किया जा रहा है।

साल 2018 में बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी वी-ड्रोन ने आसपास के एरिया से छोटे किसानों को एक पैनल के जरिए जोड़ने का प्रयास किया और ऐसे किसानों के खेत की रोबोटिक्स और मेपिंग तकनीक की मदद से केवल पांचसौ रुपए के शुल्क पर एक एकड़ से अधिक भूमि का डाटा उपलब्ध करवाया।

  • बाजारू मांग की सही पहचान और बदलते मौसम की सही जानकारी :

वेदर फोरकास्टिंग और सीधे मंडियों से जुड़े कई डिजिटल सॉफ्टवेयर की मदद से किसान भाइयों को उनके मोबाइल फोन पर ही वर्तमान में फसल की मांग के अनुसार बाजार में चल रही कीमत का पता लग जाता है।

इसके साथ ही भविष्य में स्टॉक की मात्रा का अंदाजा लगाकर किसान भाई फसल को कुछ समय तक स्टोरेज करके भी बेच सकता है।

मौसम से जुड़ी जानकारियां किसान भाइयों के खेत में होने वाले नुकसान को कम करने में सहयोग प्रदान करने के साथ ही शारीरिक श्रम में कमी और उर्वरकों के कम इस्तेमाल के लिए भी प्रेरित करती है।

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स्मार्ट कृषि प्रणाली में आने वाली चुनौतियां :

स्मार्ट कृषि की विकास प्रक्रिया में बाधित नकारात्मक प्रभाव को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:-

  • बजटीय सहायता की कमी :

साल 2022 में कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों के विकास और अनुसंधान कार्यों के लिए बहुत ही सीमित राशि उपलब्ध करवाई गई है।

बदलते समय के साथ सरकार को भी समझना होगा कि अब केवल डिजिटलीकरण और स्मार्ट कृषि की मदद से ही उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

  • लघु और सीमांत किसान जोत :

भारतीय कृषि में किसानों की लघु और सीमांत आकार की जोत को एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जाता है।

छोटे और सीमांत जोत में 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के खेत को शामिल किया जाता है।

वर्तमान में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या 85 प्रतिशत से भी अधिक है, वहीं 10 हेक्टेयर से बड़ी खेत की जोत रखने वाले किसान केवल 0.5 प्रतिशत है।

किसानों के लिए स्मार्ट तकनीक से होने वाले आर्थिक लाभ को सीमित करने में जोत का आकार बहुत महत्वपूर्ण होता है।

  • कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप कंपनियों का कम विकास :

टेलीकम्युनिकेशन और कंप्यूटर सेक्टर में बनने वाली नई स्टार्टअप कंपनियां की तुलना में कृषि क्षेत्र में काम करने वाली स्टार्टअप दो प्रतिशत से भी कम है।

अधिक जनसंख्या वाले देश में खाद्य संकट को सीमित करने के लिए कृषि क्षेत्र से जुड़ी नई तकनीकों की विकास को मध्य नजर रखते हुए स्टार्टअप कंपनी की को बढ़ाने के लिए सरकार को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।

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विश्व खाद्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक भारत में खाद्य संकट बढ़ने की संभावनाएं 25% से अधिक हो जाएगी। स्मार्ट कृषि में आने वाली समस्याओं का बिग डाटा एनालिटिक्स और बैकवर्ड-फॉरवर्ड लिंकेज को बेहतर बना कर इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से समाधान किया जा सकता है। 

 आशा करते हैं हमारे किसान भाइयों को merikheti.com के द्वारा उपलब्ध करवाई गई स्मार्ट कृषि से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी।भविष्य में आप भी डिजिटल माध्यमों का सदुपयोग करते हुए बेहतर कृषि उत्पादन के लिए नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल कर पाएंगे।

हिमाचल में सेब की खेती करने वाले किसान, ड्रोन का प्रयोग मुनाफा करेंगे दोगुना

हिमाचल में सेब की खेती करने वाले किसान, ड्रोन का प्रयोग मुनाफा करेंगे दोगुना

आये दिन देख रहे होंगे की पूरे भारत में लगातार नई नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे खेती-किसानी और भी आसान होते जा रही है। केंद्र व राज्य सरकार भी बहुत योजनाएं चला रही है, जिससे खेती किसानी और भी आसान होते जा रही है। लेकिन ये जो नई प्रयोग राज्य सरकार के द्वारा हो रही है, वह वाकई में काबिले तारीफ है। यह प्रयोग उन किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो पहाड़ी और पठारी इलाकों में खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। आपको बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी की शुरुआत की है, जिससे किसानों को काफी मदद मिल रही है, जिनसे वह अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसी की योजनाओं की कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेब की खेती कर रहे किसानों के लिए एक बहुत अच्छा प्रयोग शुरू किया है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब यह प्रयोग का सफल परीक्षण हो जाएगा, तब किसान सेब की खेती कर अपना सामान बाजार तक आसानी से पहुंचा सकेंगे।
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अब क्या होगा फायदा

बीते दिन हिमाचल प्रदेश में एक अनोखा प्रयोग का परीक्षण किया गया जो कि सफल रहा। आपको बता दे इस प्रयोग से पहले सेब की खेती कर रहे किसानों को अपने फल को मंडी तक पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। मज़दूरों के द्वारा सेब को ढोने में काफी समय लगता था व काफी नुकसान भी होते थे, जिससे किसान को मुनाफ़े की जगह घाटा का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब सफल परीक्षण के बाद किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि यह प्रयोग हिमाचल प्रदेश के किनौर के निचार गांव में हुआ है। निचार गांव के सेब बगान और वहाँ के पंचायत प्रतिनिधियों ने इस परीक्षण को किया है, जिसमें उन्होंने ड्रोन से सेब की पेटी को जिसका वजन लगभग 18 किलो के आसपास होता है, उसको इस ड्रोन के माध्यम से लगभग 12 किलोमीटर तक हवाई मार्ग के सहारे पहुंचाने में सफल रहा। इस तरीके के प्रयोग से सेब की खेती करने वाले किसान अब अपना सेब आसानी से कम समय में पहाड़ पर से नीचे उतार सकते हैं। इसमें मजदूर के तुलना में खर्च भी बहुत कम लगता है।
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गौरतलब हो की पहाड़ पर रोड की स्थिति सही नही होने के कारण बगान वालो को अपने फल की उचित कीमत नहीं मिल पाती है और सेब के पैकिंग से लेकर उसको बाजार तक पहुंचने में समय भी काफी अधिक लग जाता है, जिससे सेब भी खराब हो जाता है और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

क्या कह रहे है किसान

वहां के किसानों का कहना है कि "इस प्रयोग से हम लोग को काफी लाभ मिलेगा और हमारे सेब का उचित मूल्य भी मिल पाएगा”। किसान का यह भी कहना है कि पहले व्यापारी भी रास्ते में देरी होने की वजह से कीमत काफी कम देते थे जिससे किसानों को काफी नुकसान सहन करना पड़ता था, जो अब इस परीक्षण के सफल हो जाने से खतम हो जायेगा। आपको यह भी बता दें कि ड्रोन के प्रयोग से अब किन्नौर में सेब व अन्य सामग्री को गंतव्य तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
अब ड्रोन ने कर दिया किसानों का काम आसान, मिल रही बंपर सब्सिडी

अब ड्रोन ने कर दिया किसानों का काम आसान, मिल रही बंपर सब्सिडी

किसानों के लिए खेती करना आसान बनाने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। वैज्ञानिक नए-नए तरीके का प्रयोग कर खेती किसानी को बेहद आसान बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे किसानों को काफी सहूलियत मिल रही है। वैज्ञानिकों के द्वारा नए-नए कृषि यंत्र और उपकरणों की खोज लगातार जारी है, जिसका प्रयोग किसान अपनी खेती के लिए कर रहे हैं, और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसका एक अनोखा उदाहरण ड्रोन है, आपको बतादें कि किस ड्रोन की मदद से किसान आसानी से खेती कर पाएंगे।

क्यों दिया जा रहा है ड्रोन उपयोग को बढ़ावा

ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने का मुख्य कारण बताया जाता है, कि किसी किसान की फसल में अचानक बीमारी आ जाने के कारण एक साथ पूरे फसल पर स्प्रे करना असंभव होता था, और उससे किसान को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस ड्रोन तकनीक के माध्यम से किसान अब एक बार में काफी बड़े एरिया में छिड़काव कर सकेंगे और अपनी फसल को बीमारी से बचा सकेंगे। ड्रोन के उपयोग से किसानों को समय की भी बचत होगी और दवा की भी बचत होगी।


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उदाहरण के लिए समझे तो, अगर किसी किसान ने 40 एकड़ भूमि में खेती की है और फसल में कीड़ा लग गया है, तो पहले इससे निजात पाने के लिए छिड़काव में काफी ज्यादा वक्त लगता था। लेकिन अब तकरीबन 1 दिन में ड्रोन की सहायता से सारी फसल पर कीटनाशक का छिड़काव हो पाएगा और किसान अपनी फसल बचा सकेंगे।

किसानों को मिलेगा 4 लाख तक की सब्सिडी

सबसे अहम बात यह है, कि लघु और सीमांत वर्ग के किसान इस ड्रोन को कैसे खरीद पाएंगे। क्योंकि इस ड्रोन की कीमत काफी ज्यादा होगी। जो लघु और सीमांत किसान के लिए आसान नहीं होगा। लघु और सीमांत किसान की इस परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार सामने आई है और किसानों को सब्सिडी देने की बात कही गई है। कृषि मंत्रालय के द्वारा एक ट्वीट आया है, जिसके मुताबिक “ड्रोन ऐप्लिकेशन के माध्यम से सहकारी समिति किसानों ,एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों को कस्टम हाइरिंग सेंटर द्वारा ड्रोन की मूल लागत के ४०% दर या अधिकतम ₹४,००,००० तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। [embed]https://twitter.com/AgriGoI/status/1596426264440471552[/embed] यह 40 फीसदी सब्सिडी सामान्य वर्ग के किसानों के लिए ड्रोन खरीदने पर दिया जा रहा है, वहीं, कृषि से स्नातक युवा, एससी/ एसटी और महिला किसान को ड्रोन खरीद पर 50 फीसदी तक का अनुदान मिल सकता है। इतना ही नहीं कृषि प्रशिक्षण संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों को ड्रोन खरीदने पर अधिकतम 100% का अनुदान दिया जा रहा है, जिसको अधिकतम 10 लाख रुपया तक बताया जा रहा है।
किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव

किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित बीएचयू कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा खेतों में फसलों को जल पोषित करने हेतु अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया है। इस ड्रोन से किसान भाई कम वक्त में दवा व उर्वरकों का छिड़काव कर पाएंगे। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित बीएचयू कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों हेतु अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया जाएगा। किसान ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशक व उर्वरकों का छिड़काव फसलों पर कर पाएंगे। केवल 15 मिनट के समय के अंदर एक एकड़ भूमि पर खाद अथवा फिर कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे। इस तकनीकी उपयोग से जल की खपत कम होने के साथ-साथ वक्त भी बचेगा। फसलों की पैदावार को अच्छा करने के लिए निरंतर केंद्र सरकार कदम उठा रही है। इसी कड़ी में बरकछा में उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों की खेती को अत्यधिक सुगम करने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन निर्मित किया गया है।

समय की बर्बादी खत्म उत्पादन में होगी बढ़ोत्तरी

मिर्जापुर जनपद के बरकछा के बीएचयू में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से 10 लाख रुपये के खर्च से अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया गया है। ड्रोन तकनीक से केवल 15 मिनट में एक एकड़ भूमि पर खाद, कीटनाशक अथवा दवा का छिड़काव आसानी से कर सकते हैं। फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी करने के लिये केंद्र सरकार निरंतर नई तकनीक जारी कर रही है। अत्याधुनिक ड्रोन समस्त तरह की कृषि हेतु लाभकारी है।
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किसानों के खर्च में कमी आएगी

किसान ड्रोन तकनीक का उपयोग करके नैनो यूरिया (Nano Urea) का भी छिड़काव कर सकते हैं। इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। कृषि विज्ञान केंद्र मुफ्त में किसानों को ड्रोन उपलब्ध कराएगा । इस ड्रोन के वजन की बात करें तो यह 14.5 किलो ग्राम का है। ड्रोन के नीचे एक बॉक्स बना रहता है। इस बॉक्स के अंदर कीटनाशक अथवा खाद रखा जा सकता है। कम जल खपत एवं कम खर्च में किसान खेतों में छिड़काव कर पाएंगे। इस तकनीक के इस्तेमाल से किसानों का खर्च भी काफी कम हो जाएगा।

ड्रोन से किया गया छिड़काव ज्यादा फायदेमंद होता है

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ श्रीराम सिंह का कहना है, कि ड्रोन के माध्यम से किसान एक एकड़ भूमि में कीटनाशकों, वाटर सॉल्युबल उर्वरकों और पोषक तत्वों का फिलहाल कम समय के अंदर किसान छिड़काव कर पाएंगे। इसकी सहायता से उनके वक्त के साथ संसाधन भी बचेेंगे। ड्रोन तकनीक द्वारा ऊपर से छिड़काव किया जाता है, जो कि फसलों हेतु अत्यंत लाभकारी होता है। मैनुवल से अधिक ऊपर से छिड़काव लाभकारी होता है।

किसानों द्वारा नैनो यूरिया उपयोग किया जा सकता है

खेतों में छिड़काव हेतु किसान नैनो यूरिया (Nano Urea) का उपयोग कर सकते हैं। इफको द्वारा दानेदार खाद से इतर हटकर नैनो यूरिया तैयार किया है। एक बोतल नैनो यूरिया एक बोरी खाद के समरूप किसानों की फसलों की पैदावार में वृद्धि करने हेतु काम है। एक एकड़ भूमि के लिए पांच सौ एमएल की एक ही बोतल काफी है। नैनो यूरिया के 4 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों में छिड़काव किया जा सकता है। ड्रोन तकनीक में इसी यूरिया का उपयोग कर सकते हैं। नैनो यूरिया पूर्णतय प्रदूषण से मुक्त है।